2019 में जब भाजपा सत्ता में वापस आई, तो उसने जल्दबाजी में संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया, ठीक वैसे ही जैसे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था।
इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदुओं, पारसियों, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों और जैनियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्य सरकारें अभी भी इसका पुरजोर विरोध कर रही हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बार-बार कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम लोकसभा चुनाव से पहले लाया जाएगा क्योंकि अभी तक कोई उचित नियम नहीं बनाए गए हैं।
इसी तरह, हाल ही में यह बताया गया था कि सीएए नियमों की घोषणा लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले की जाएगी। ऐसे में केंद्र सरकार ने शासनादेश जारी किया है कि नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है।