रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद 'मौन व्रत' तोड़ेगी 'मौनी माता' सरस्वती देवी - 30 साल की व्रत का ख़तम!

मौनी माता सांकेतिक भाषा से और लिखकर अपने परिवार के सदस्यों के साथ बात करती रही। तभी, कुछ दिन के लिए मौनी माता ने अपने व्रत से विराम ली और दिन में एक घंटे के लिए, दोपहर को, मुँह खोलके बात करती रही।
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद 'मौन व्रत' तोड़ेगी 'मौनी माता' सरस्वती देवी - 30 साल की व्रत का ख़तम!
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अयोध्या में राम मंदिर की उद्घाटन जनवरी 22 को होनेवाला है। इसे त्यौहार से काम नहीं मान रहे है भारतीय ने। अपने ही घर के त्यौहार जैसे जनवरी 22 के इन्तजार में रहे है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त जनवरी 22 को 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड है।

इस समय तथा इसी दिन में अपने बच्चों को जन्म देना चाहते है उत्तर प्रदेश की गर्भवती महिलाएं। इसी कारण डॉक्टरों से भी उस दिन में सीज़ेरियन करने के अनुरोध कर रहे है।

अब एक और दिलचस्पी खबर मिला है कि एक 85 वर्षीया महिला अपना 30 साल की मौन व्रत को राम मंदिर की उद्घाटन के दिन तोड़ने वाली है।

झारखंड के धनबाद में रहनेवाली है सरस्वती देवी। सरस्वती भगवान् राम की गहरी भक्त है। कथानुसार सरस्वती देवी पिछले 32 सालों से किसी से बात तक भी नहीं की। उन्होंने तीन दशकों से मौन व्रत रखी है। 32 सालों पहले, यानी दिसंबर 6, 1992 में जिस दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब से मौन है।

उनकी परिवार के लोगों की दावा यह है की, जब बाबरी मस्जिद की ध्वस्त हुआ था, सरस्वती को लगा यह एक दैवीय हस्तक्षेप है। उनकी मानना है कि किसी ना किसी दिन, अयोध्या में, यानी राम जन्म भूमि में भगवान् राम की मंदिर निर्माण किया जाएगा। इसलिए बाबरी मस्जिद धवस्त के दिन सरस्वती ने प्रतिज्ञा ली थी कि जिस दिन उसकी ख्वाहिश पूरी होगी, तभी मौन व्रत को तोड़ेगी।

इसी कारण इस महिला को मौनी माता के नाम पर बुलाया जाता है। मौनी माता सांकेतिक भाषा से और लिखकर अपने परिवार के सदस्यों के साथ बात करती रही। तभी, कुछ दिन के लिए मौनी माता ने अपने व्रत से विराम ली और दिन में एक घंटे के लिए, दोपहर को, मुँह खोलके बात करती रही।

और जब 2020 में जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर की नींव रखा था, तब से पूरी तरह से मौन व्रत लेने लगी। मौनी माता ने 7 महीने के लिए चित्रकोट में भी तपस्या की, जहां भगवान् राम ने अपने वनवास के समय के लिए वास किया था। सरस्वती देवी भारत के कई पुण्य तीर्थस्थलों को चली आयी है, जैसी चार धाम, अयोध्या, काशी, मथुरा, तिरुपति, सोमनात मंदिर आदि।

सरस्वती देवी को चार बेटियां सहित आठ बच्चे है। 1986 में सरस्वती देवी के पति देवकीनंदन अग्रवाल की मौत हुयी। इसके बाद अपना जीवन भगवान् राम को समर्पित कर ली है सरस्वती देवी ने। राम मंदिर के उद्घाटन के लिए बहुत इंतज़ार कर रही है मौनी माता।

अब जनवरी 22 को जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तब भगवान् राम के नाम को जपकर अपनी संकल्प को ख़तम करेगी। सरस्वती देवी वर्त्तमान अपने दूसरे बेटे नंदलाल अग्रवाल और छोटी बहु इन्नु अग्रवाल के साथ धनबाद में वास कर रही है।

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