पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब 91 साल के हो गए हैं। मनमोहन सिंह 33 साल के कार्यकाल के बाद 3 अप्रैल को राज्यसभा से रिटायर हुए थे। 1991 में, नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण नीतियों की शुरुआत की।
मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक एक दशक तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री थे। 2014 में मोदी के नेतृत्व में भाजपा के सत्ता में आने के बाद भी वह राज्यसभा के सदस्य बने रहे।
पिछले कुछ सालों से वह बुढ़ापे के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों से बचते रहे हैं। वह जनवरी में दिल्ली में अपनी बेटी की पुस्तक विमोचन समारोह में शामिल हुई थीं।
मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा लाए गए आर्थिक सुधारों की वामपंथियों ने कड़ी आलोचना की थी। वहीं, लेफ्ट के समर्थन से पहली यूपीए सरकार बनी थी।
उन्होंने यूपीए शासन के दौरान कई स्वागत योजनाएं लाईं। विशेष रूप से, 100 दिनों के काम की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लाईं । यह आज तक ग्रामीण लोगों के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक योजना बनी हुई है। 100 कार्यक्रम कोरोना महामारी सहित संकट के विभिन्न समय में ग्रामीण आबादी का समर्थन करने के लिए रहा है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून मनमोहन सिंह सरकार के दौरान बनाया गया था। भारत में, जो एक लोकतांत्रिक देश है, सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया, उसने अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत का कद बढ़ाया। इस अधिनियम से पूरे देश में शासन में पारदशता आई है। उल्लेखनीय है कि आरटीआई के जरिए सरकार के कई घोटाले सामने आ चुके हैं।
साधारण परिवार में जन्मे मनमोहन सिंह ने शिक्षा के माध्यम से कई ऊंचाइयों को छुआ। विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मनमोहन सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और देश के प्रधानमंत्री बने। उन्हें भारत के लोगों द्वारा हमेशा कई कारणों से याद किया जाएगा, जिसमें उनके शासन के दौरान लाई गई योजनाएं और उनके दृष्टिकोण की सादगी शामिल है।