प्रधानमंत्री मोदी 
राजनीति

उन्होंने कहा, 'भारत में कोई धार्मिक भेदभाव नहीं है, अल्पसंख्यक सुरक्षित रूप से रह रहे है"

उन्होंने कहा, 'मुसलमानों के भविष्य के बारे में सवाल का जवाब हमारे देश का विकास है। अगर यह भेदभावपूर्ण होता, तो देश इस हद तक प्रगति नहीं करता।

Hindi Editorial

पिछले साल जून में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'लोकतंत्र हमारे दिलों में है। भारत में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि हमारी सरकार लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों पर आधारित है। इसलिए वह संविधान का पूरी तरह से पालन करती है।

प्रधानमंत्री मोदी

दिल्ली के लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास से फाइनेंशियल टाइम्स को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'भारत में किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के साथ कोई भेदभाव नहीं है। मुसलमानों के भविष्य के बारे में सवाल का जवाब हमारे देश का विकास है। यदि यह भेदभावपूर्ण होता तो देश इस हद तक प्रगति नहीं कर पाता।

मोदी ने कहा , 'मैं दुनिया और घरेलू मीडिया की इस आलोचना को खारिज करता हूं कि हमारी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से भारत में इस्लामी घृणा और विरोध बढ़ा है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय समाज स्वयं किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के साथ भेदभाव नहीं करता है। पारसी जातीय लोग, भारत में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों में, दुनिया में कहीं और उत्पीड़न के अधीन होने के बावजूद, भारत में सुरक्षित, खुशहाल और समृद्ध रूप से रहते हैं।

मोदी

यह कहना अस्वीकार्य है कि सरकार की आलोचना करने वालों पर दमन हो रहा है। हमारे देश में स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए, हर दिन, संपादकीय, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, वीडियो, ट्वीट, आदि के माध्यम से हम पर ये आरोप लगाए जा रहे हैं। अभी भी एक अवसर है और इसके लिए एक वातावरण है ... विपक्षी दल भाजपा के मंत्रियों को 'टूलकिट, टुकड़े-टुकड़े टुकड़े' कहकर उनका मजाक उड़ा रहे हैं। उन्हें ऐसा करने का अधिकार है।

साथ ही, दूसरों को भी इसका जवाब देने का समान अधिकार है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा के लिए चुनाव जीतना इसलिए संभव हो सका, क्योंकि मेरी सरकार ने लंबे समय से धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन किया।

तिरुपति में पीएम मोदी

यदि आपके द्वारा उजागर किए गए मुद्दे व्यापक होते, तो भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की स्थिति तक नहीं पहुंचता। भारत पर इस तरह के विचार न केवल भारत के लोगों की बुद्धि का अपमान करते हैं, बल्कि विविधता और लोकतंत्र के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता को भी कमजोर करते हैं।