क्या रामलला की मूर्ति 2.5 अरब सालों पुराने काली ग्रेनाइट के पत्थर से बना है? 
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क्या रामलला की मूर्ति 2.5 अरब सालों पुराने काली ग्रेनाइट के पत्थर से बना है?

अब रामलला की मूर्ति के बारे में कुछ ख़ास विषय मिला है। रामलला की मूर्ति को लगभग 2.5 अरब साल पुराने काली ग्रेनाइट से बनाया गया है। रामलला की मूर्ति 51 इंच ऊंचाई का है।

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अयोध्या में स्थापित रामलला की मूर्ति लगभग 2.5 अरब साल पुराने काली ग्रेनाइट से बनाया गया है। इस बात को रॉक एक्सपर्ट एचएस वेंकटेश ने पुष्टि की है।

जनवरी 22 को अयोध्या में बड़ी धूम धाम से रामलल्ला की प्राण प्रतिष्ठा हुयी। कार्यक्रम में बड़े बड़े हस्तियां शामिल थे। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 'संकल्प' और अभिषेक सहित अनुष्ठान किए, जिसके बाद हवन हुआ।

अयोध्या में स्थापित किया गया रामलला की मूर्ति को खूब सजावटी किया गया था। सर पर मुकुट, शरीर पर दिव्या आभूषण और पीताम्बर वस्त्र से सजावट किये थे। भगवान् राम का वस्त्र पौराणिक आधारों पर ही बनाया गया था।

वस्त्र का डिज़ाइन दिल्ली की डिज़ाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया है। मनीष त्रिपाठी भारतीय क्रिकेट टीम के फॉर्मल ऑउटफिट से लेकर, भारतीय सेना के बुलेट प्रूफ जैकेट तक डिज़ाइन करते है।

मनीष ने बताया की 2021 से यूपी की खाड़ी के सहयोग से रामलला का वस्त्र डिज़ाइन की। इस काम के लिए मनीष ने कोई भी पैसे ना लिए थे।

भगवान् राम की मूर्ति को कई दिव्या आभूषणों के साथ सजाये थे। इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के बाद किया गया है।

अयोध्या निवासी मशहूर लेखक यतींद्र मिश्र ने इससे संबंधित जरूरी शोध के साथ परिकल्पना और निर्देशन दिया, और इसी आधार पर इन आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द के संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स, लखनऊ ने किया है।

अब रामलला की मूर्ति के बारे में कुछ ख़ास विषय मिला है। रामलला की मूर्ति को लगभग 2.5 अरब साल पुराने काली ग्रेनाइट से बनाया गया है। रामलला की मूर्ति 51 इंच ऊंचाई का है।

इसे बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीटुए ऑफ़ रॉक मैकेनिक्स के निर्देशक एचएस वेंकटेश ने पुष्टि की। बेंगलुरु के एनईआरएम बेंगलुरु, राष्ट्रीय सुविधा ने भौतिक और यांत्रिक विशेषलण का उपयोग करके पत्थर का परिक्षण करने में मदद की थी। एनईआरएम एक नोडल अगेनवी है जो, भारत के बढ़ो और परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए चट्टानों का परिक्षण करता है।

इस ख़ास काली ग्रेनाइट पत्थर को मैसूरु के जयपुर होब्ली गाँव से पाया गया है, जो ग्रेनाइट पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है। रामलला की मूर्ति को अरुण योगिराज नामक एक 38 वर्षीया युवा ने तब्दील किया, जो पांच पीढ़ियों के मुर्तिकारक परिवार से आता है।

योगिराज से तब्दील किया मूर्ति के साथ साथ एक सफ़ेद मार्बल के रामलला मूर्ति भी पहले स्थापित करने के लिए बात में था, आखिर अरुण योगीराज का मूर्ति चुनाया गया। उस मार्बल मूर्ति को राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने तब्दील की है। मार्बल के रामलला हाथ में सोने की धनुष और तीर पकड़के खड़ा रहता है और मूर्ति में आभूषणों को भी मार्बल में ही तब्दील किया गया है।

अब ये मूर्ति ट्रस्ट के पास है, जो शीग्र ही मंदिर में स्थापित किया जाएगा