दिल्ली उच्च न्यायालय 
इंडिया

बीमार पत्नी को घरेलू काम के लिए मजबूर करना क्रूरता है : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बीमार पत्नी को घर का काम करने के लिए कहना क्रूरता है.

Hindi Editorial

दिल्ली निवासी रंजीत ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पत्नी से तलाक लेने की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने 2022 में उनकी तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी।

अपनी याचिका में रंजीत ने कहा, 'मेरी पत्नी मेरे परिवार का सम्मान नहीं करती। घर पर दैनिक काम नहीं करता। इसके अलावा, वे घर के खर्चों का भुगतान नहीं करते हैं। वह मुझ पर किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखने का आरोप लगाता है। फैमिली कोर्ट ने मेरी पत्नी के मेरे साथ किए गए क्रूर व्यवहार पर ध्यान नहीं दिया।"

"यह परिवार के लिए उसके प्यार के कारण है कि एक महिला स्वेच्छा से परिवार में दैनिक घरेलू काम करती है। वहीं, अगर उसकी सेहत साथ नहीं देती है, या फिर हालात की वजह से वह घरेलू काम नहीं कर पाती है तो उसे घरेलू काम करने के लिए मजबूर करना क्रूरता है। लेकिन इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी को घरेलू काम करने के लिए मजबूर नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने एक घरेलू मदद को काम पर रखा।

हालांकि, याचिकाकर्ता की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उसका किसी अन्य महिला के साथ संबंध है। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता की पत्नी ने अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ पुलिस में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार और न्यायमूर्ति नीना बंसल की पीठ ने कहा कि इसलिए अदालत याचिकाकर्ता को तलाक की अनुमति देती है।